Thursday, January 1, 2009

याद है बाकी

दर्द की कोई स्मृति नहीं है
बस चुभन के निशान हैं बाकी
कल रात शायद कोहरा घाना था
आंखों में धुन्ध्लाहट है बाकी

शब्दों के नश्तर और वो सर्द नज़र
छलनी दिल में अभी लहू है बाकी
चाह कर भी कुछ कह सके
तुणीर में अभी बाण हैं बाकी

आंसुओं ने साथ छोड़ा
अब भी अपना मान है बाकी
आज एकांत में रुक सके
बह गया अन्तिम कतरा बाकी

गौ-धूलि में एक साया सा समां गया
पद-चिह्नों के उभार हैं बाकी
यादों को तो कुछ याद नहीं
क्यों मेज़ पर दो जाम हैं बाकी

2 comments:

  1. Me and my Mom both appreciated your poems....
    Thoughts really well expressed..such a good Hindi ..whoaaa

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  2. Hey thats so sweet vishy. Thanks for the compliment. to you mom too :) Will need your encouragement in future as well

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